सबसे सुघर,अलबेली। हमारी भाषा बुन्देली। सबसे सुघर,अलबेली। हमारी भाषा बुन्देली।
जन पथ की सुनसान गली में याद आती हो तुम. जन पथ की सुनसान गली में याद आती हो तुम.
गीत ग़ज़ल उल्फ़त की ख़ुशबू है आज़म महके प्यारी धरती उल्फ़त की धुन में। गीत ग़ज़ल उल्फ़त की ख़ुशबू है आज़म महके प्यारी धरती उल्फ़त की धुन में।
गुनगुनाते भँवरों की टोली में दिल की हर भाषा की बोली में याद आती हो तुम.... गुनगुनाते भँवरों की टोली में दिल की हर भाषा की बोली में याद आती हो तुम....
इन शब्दों के आघात से मन में पीड़ा होती है असह्य टीस उठती रहती है। इन शब्दों के आघात से मन में पीड़ा होती है असह्य टीस उठती रहती है।
आओ बनाएँ स्वर्ग से सुंदर धरा जिसमें रहे आदमी बनकर खरा। आओ बनाएँ स्वर्ग से सुंदर धरा जिसमें रहे आदमी बनकर खरा।